Ma Chandraghanta: Puja on 3rd Day of Navratri 2024|Cosmogyaan

by | Apr 10, 2024 | Navratri

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Navratri 2024 mein Ma Chandraghanta ki pooja teesre din hoti hai, Pooja vidhi of Ma Chandraghanta

Ma Chandraghanta

Ma Chandraghanta: नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित है। माँ चंद्रघंटा माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं।

माँ चंद्रघंटा का स्वरूप:

  • माँ चंद्रघंटा का मुख अत्यंत सुंदर और शांत है।
  • उनके मस्तक पर चंद्रमा के आकार का घंटा विराजमान है।
  • उनके दस हाथ हैं जिनमें त्रिशूल, गदा, तलवार, कमंडल, धनुष, बाण, वज्र, माला, शंख और चक्र धारण किए हुए हैं।
  • माँ चंद्रघंटा सिंह पर सवार रहती हैं।

माँ चंद्रघंटा की पूजा:

  • तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें।
  • माँ को फूल, अक्षत, रोली, चंदन, दूध, दही, घृत, मधु, और शर्करा अर्पित करें।
  • माँ चंद्रघंटा की आरती करें।
  • माँ से क्षमा याचना करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

माँ चंद्रघंटा की कथा:

नवरात्रि के तीसरे दिन, माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप, माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित रहता है जिससे उनके नाम की उत्पत्ति हुई। उनका ये स्वरूप भक्तों को अभय प्रदान करने वाला और परम शांतिदायक माना जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार तीनों लोकों में व्याप्त हो गया था। उसके आतंक से देवता भी भयभीत रहने लगे थे। महिषासुर से त्रस्त होकर देवताओं ने भगवान शिव और विष्णु के साथ मिलकर माँ शक्ति यानि आदिशक्ति को प्रकट करने की प्रार्थना की। देवताओं की प्रार्थना स्वीकार करते हुए माँ आदिशक्ति ने दुर्गा का रूप धारण किया।

देवी दुर्गा ने कई वर्षों तक महिषासुर और अन्य असुरों से घोर युद्ध किया। इसी युद्ध के दौरान, उन्होंने अपने कल्याणकारी स्वरूप माँ चंद्रघंटा का अवतार लिया। कहते हैं कि माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर विराजमान घंटे की भयानक ध्वनि से ही असुर और राक्षस कांप उठते थे।

सिंह की सवारी पर विराजमान, माँ चंद्रघंटा एक भव्य स्वरूप हैं। उनकी दस भुजाएँ हैं जिनमें अनेक अस्त्र शस्त्र सुशोभित हैं। उनका स्वर्णिम वर्ण और दिव्य मुस्कान मन को असीम शांति प्रदान करती है। मां चंद्रघंटा का स्मरण करने मात्र से भक्तों को अद्भुत साहस, वीरता, और शक्ति का आभास होता है। वे भय और अशांति दूर कर निर्भयता प्रदान करती हैं।

नवरात्रि में तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। भक्तों पर उनकी अहैतुकी कृपा बरसती है और उनके जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

माँ चंद्रघंटा का महत्व:

माँ चंद्रघंटा को शक्ति और साहस की देवी माना जाता है। माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को शक्ति, साहस, और बुद्धि प्राप्त होती है।

माँ चंद्रघंटा का मंत्र:

ॐ जय चंद्रघंटायै नमः

यह मंत्र माँ चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए सबसे सरल और शक्तिशाली मंत्रों में से एक है।

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ: पवित्र शब्द जो ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक है।
  • जय: विजय का प्रतीक।
  • चंद्रघंटा: माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप।
  • नमः: नमस्कार या प्रणाम का प्रतीक।

माँ चंद्रघंटा की आरती:

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम ।।
चंद्र समान तू शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।।

क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।।

शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।।
नाम तेरा रटूं महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।।

॥ जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे सभी काम ॥

आरती का महत्व:

आरती माँ चंद्रघंटा का गुणगान करती है और उनकी दिव्य शक्तियों का आह्वान करती है।
आरती करने से भक्तों पर माँ की कृपा होती है और वे सभी कष्टों से मुक्त होते हैं।

माँ चंद्रघंटा से क्षमा याचना:

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा से क्षमा याचना करें। माँ से अपने सभी अपराधों और गलतियों के लिए क्षमा माँगें। माँ से प्रार्थना करें कि वे आपको क्षमा करें और आपको आशीर्वाद प्रदान करें।

क्षमा याचना मंत्र

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरी॥
मंत्रहीनम क्रियाहीनम भक्तिहीनम सुरेश्वरी। यत्पूजितं मया देवी परिपूर्ण तदस्मतु।

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना, कथा और क्षमा याचना करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

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Suresh Bhola

Astrologer Shree Suresh Bhola

Astrologer and Lal kitab guide