मां महागौरी: नवरात्रि 2024 के आठवें दिन पूजा और आशीर्वाद | Cosmogyaan
Ma MahaGauri : मां महागौरी और शिव की कथा
नवरात्रि के आठवें दिन, हम देवी मां महागौरी की पूजा करते हैं। देवी मां का यह रूप अत्यंत शांत और मनमोहक होता है। उनकी सुंदरता और दयालुता भक्तों को आकर्षित करती है। आइए जानते हैं मां महागौरी के स्वरूप, पूजा विधि, महत्व और उनसे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में।
मां महागौरी अत्यंत सुंदर और शांत स्वरूप वाली देवी हैं। इनका नाम “गौरी” है, जिसका अर्थ है “गोरा रंग”। इनका रंग शुद्ध सफेद होता है, जो पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक है। देवी मां की चार भुजाएं हैं। दाहिने हाथ में त्रिशूल और कमंडल होता है, जबकि बाएं हाथ में वरद मुद्रा और अक्षय पात्र होता है। मां महागौरी बैल की सवारी करती हैं, जो शक्ति और स्थिरता का प्रतीक है।
नवरात्रि के आठवें दिन, जब संसार देवी मां महागौरी की अराधना में लीन होता है, तब उनकी दिव्यता और शांति का आभास हर जगह फैल जाता है। उनका स्वरूप न केवल भक्तों के मन को मोहित करता है, बल्कि उनकी दयालुता और करुणा से उनके हृदय भी भर जाते हैं। देवी मां का यह रूप अत्यंत शांत और मनमोहक होता है, जिसकी सुंदरता और दयालुता भक्तों को आकर्षित करती है।
उनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से प्रत्येक हाथ एक विशेष अर्थ लिए हुए है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और कमंडल होता है, जो शक्ति और पवित्रता का प्रतीक है, जबकि बाएं हाथ में वरद मुद्रा और अक्षय पात्र होता है, जो अनंत दान और आशीर्वाद का संकेत है। मां महागौरी बैल की सवारी करती हैं, जो शक्ति और स्थिरता का प्रतीक है।
देवी मां की उपासना का महत्व उनकी पौराणिक कथा में निहित है। उनकी कथा एक ऐसी तपस्विनी की है जिसने अपने इष्ट देवता शिव को प्राप्त करने के लिए अनगिनत वर्षों तक कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या इतनी गहन थी कि उनका शरीर काला पड़ गया था। लेकिन उनकी अडिग भक्ति और समर्पण ने अंततः भगवान शिव को प्रसन्न किया, और उन्होंने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
शिव ने गंगा के पवित्र जल से उनके शरीर को धोया, जिससे उनका रूप फिर से गौरवर्णीय हो गया। इसी कारण उन्हें ‘महागौरी’ के नाम से जाना जाता है। उनकी पूजा से भक्तों के सभी पाप और कल्मष धुल जाते हैं, और उनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। उनकी उपासना से जीवन में कल्याण और समृद्धि आती है।
देवी महागौरी की पूजा विधि भी उनकी सादगी और शुद्धता को दर्शाती है। उनकी पूजा में सफेद फूल, दूध, दही और शहद का विशेष महत्व होता है, जो उनकी श्वेताम्बरधरा रूप को प्रतिबिंबित करते हैं। भक्त उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाकर और श्वेत पुष्पों से सजाकर उनकी आराधना करते हैं। उनकी आरती और मंत्रों का जाप भक्तों को आत्मिक शांति और आनंद प्रदान करता है।
मां महागौरी की महिमा अपरंपार है। उनकी कृपा से भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि उनके जीवन में समृद्धि और सफलता के द्वार भी खुलते हैं। उनकी उपासना से भक्तों के सभी दुख-दर्द और संकट दूर होते हैं, और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में विजयी बनाती है। उनकी शक्ति और दया की कहानियां सदियों से भारतीय संस्कृति में गूंज रही हैं, और आज भी उनकी पूजा उतनी ही श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है।
पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान आदि करके मां महागौरी की मन में छवि बनाएं।
- गंगाजल से घर के मंदिर अथवा पूजा स्थान को शुद्ध करें।
- मां महागौरी की मूर्ति या चित्र को सफेद वस्त्र के आसन पर स्थापित करें।
- चंदन, रोली, पुष्प, अक्षत, सिंदूर आदि चढ़ाएं। तेल का दीया जलाएं।
- दूध, दही, घी, शहद, और पंचामृत से बनी पंचामृत का भोग लगाएं।
- मां महागौरी को समर्पित मंत्रों और कथा का पाठ करें।
- मां महागौरी की आरती के साथ ही अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
मां महागौरी के मंत्र
- “या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
- “ओम महागौर्यै नमः”
मां महागौरी की पूजा का महत्व
मां महागौरी की पूजा करने से भक्तों को पापों से मुक्ति, ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है। मां महागौरी मन की अशांति और नकारात्मक विचारों को दूर करती हैं। मां की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
जय मां महागौरी!
0 Comments